अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से सोमवार को जब पाकिस्तान के एक पत्रकार ने इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने 'लोकतंत्र' का जिक्र करते हुए रिपोर्टर की बोलती बंद कर दी।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के रिलीज होने के बाद से ही विवाद खड़ा हो गया है। इसको लेकर अब अमेरिका ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से सोमवार को जब पाकिस्तान के एक पत्रकार ने इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने 'लोकतंत्र' का जिक्र करते हुए रिपोर्टर की बोलती बंद कर दी। उन्होंने जवाब में कहा- "मैं बीबीसी डॉक्यूमेंट्री से जुड़े वृतांत से परिचित नहीं हूं। हालांकि, मैं उन साझा मूल्यों से बहुत परिचित हूं जो अमेरिका और भारत को दो संपन्न और जीवंत लोकतंत्रों के बीच हैं।

एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, प्राइस ने सोमवार (स्थानीय समयानुसार) को कहा कि ऐसे कई चीजें हैं जो भारत के साथ अमेरिका की वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करते हैं जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और असाधारण रूप से गहरे लोगों के बीच संबंध शामिल हैं। 

 भारत अमेरिका के संबंध गहरे 

इस दौरान नेड प्राइस ने अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक संबंधों को रेखांकित किया और भारत के लोकतंत्र को एक जीवंत बताते हुए उन्होंने कहा कि हम हर उस चीज को देखते हैं जो हमें एक साथ जोड़ती है, और हम उन सभी तत्वों को मजबूत करने के लिए तत्पर हैं जो हमें एक साथ बांधते हैं। उन्होंने इस तथ्य पर भी जोर दिया कि अमेरिका भारत के साथ जो साझेदारी साझा करता है वह असाधारण रूप से गहरी है और दोनों राष्ट्र उन मूल्यों को साझा करते हैं जो अमेरिकी लोकतंत्र और भारतीय लोकतंत्र के लिए सामान्य हैं।

 ऋषि सुनक ने किया पीएम मोदी का बचाव 

पिछले हफ्ते, यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव किया और बीबीसी वृत्तचित्र श्रृंखला से खुद को दूर कर लिया, यह कहते हुए कि वह अपने भारतीय समकक्ष के चरित्र चित्रण से सहमत नहीं हैं। सुनक ने ये टिप्पणी पाकिस्तान मूल के सांसद इमरान हुसैन द्वारा ब्रिटिश संसद में उठाए गए विवादित डॉक्युमेंट्री पर की।

 दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता की मांग 

नेड प्राइस ने कहा कि हमने लंबे समय से दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता की मांग की है। भारत और पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध अपने दम पर खड़े हैं और हम उन्हें शून्य योग के रूप में नहीं देखते हैं। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी वार्ता की गति, गुंजाइश और चरित्र दो देशों का मामला है।

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