ऑर्गेनिक खेती करने से पहले यह जान लेना है जरूरी

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सहारनपुरः
खेती भारत का प्रमुख व्यवसाय कहा जाता है. देश में खेती करने वाले किसानों की संख्या करीब 70% है. कई वर्षों से खेती में बढ़ती लागत से किसानों को इस व्यवसाय में कम आमदनी हो रही है. जिसके लिए सरकार भी तरह-तरह की योजनाएं चलाकर किसानों को लाभ देने का प्रयास कर रही है. अनाज, गन्ना, दलहन व तिलहन आदि की फसलों में पेस्टिसाइड व उर्वरकों की बढ़ती महंगाई ने एक ओर जहां लागत में वृद्धि की है.दूसरी और यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं. इसके लिए सरकार किसानों को ऑर्गेनिक खेती करने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित कर रही है.

कई माध्यमों से सरकार के प्रतिनिधि किसानों के बीच जाकर ऑर्गेनिक विधि से खेती करने की जानकारी दे रहे हैं. कुछ किसान खेती में ऑर्गेनिक खाद्य व बीजों का प्रयोग करके इस ओर कदम बढ़ा रहे हैं. इस ऑर्गेनिक विधि से तैयार फसल की गुणवत्ता तो सही होती है, परंतु किसानों को खेती में अपेक्षित उत्पादन ना होने के कारण कहीं ना कहीं नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. नकुड़ क्षेत्र के नसरुल्लागढ़ गांव निवासी प्रीतम सिंह करीब 6 वर्षों से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं.

 कुरुक्षेत्र से मिली ऑर्गेनिक खेती की प्रेरणा 

नसरुल्लागढ़ गांव के किसान ठाकुर प्रीतम सिंह ने बताया कि वर्ष 2016 में वह कृषि वैज्ञानिक जितेंद्र कुमार व रजनीश प्रधान के साथ कुरुक्षेत्र गए थे. जहां पर कृषि वैज्ञानिक ने उन्हें सैकड़ों बीघे का एक कृषि फार्म दिखाया. जिसमें सभी तरह की फसलें ऑर्गेनिक विधि से उगाई जा रही थी. किसान ने बताया कि सब्जी व चावल की फसलों को देखकर उन्हें भी ऑर्गेनिक विधि से खेती करने की लालसा हुई. जिसके बाद वैज्ञानिक से आवश्यक जानकारी लेकर उन्होंने ऑर्गेनिक विधि से खेती करना शुरू किया.

 खुद तैयार करते हैं खाद 

किसान प्रीतम सिंह ने बताया कि वह गाय के गोबर व मूत्र से फसलों के लिए खाद तैयार करते हैं. देसी गाय के मूत्र में गोबर से जीव अमृत्व घन जीवामृत खाद तैयार करके फसलों में डालते हैं. किसान प्रीतम सिंह ने बताया कि ऑर्गेनिक निधि से उगाया जाने वाला अनाज एक और जहां स्वास्थ्य के लाभदायक है. वहीं दूसरी ओर इसका भोजन भी बहुत स्वादिष्ट होता है. किसान ने बताया कि पेस्टिसाइड व केमिकल का खेती में प्रयोग करने से तैयार अनाज से मनुष्य के शरीर में अनेक तरह की लाइलाज बीमारियां तक पैदा होती हैं. वहीं इन पेस्टिसाइड्स के प्रयोग से पर्यावरण भी दूषित होता है.

ऑर्गेनिक फसलों के लिए बाजारीकरण व्यवस्था सही नहीं 

किसान प्रीतम सिंह ने बताया कि वह वर्ष 2016 से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. जिसमें उन्होंने आलू, गन्ना, धान व गेहूं की फसलें उगाई हैं. उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक विधि से की गई फसलों से उन्हें अभी तक अपेक्षाकृत लाभ नहीं मिला है. क्योंकि इस विधि से तैयार फसलों के अनाज की गुणवत्ता तो उत्तम होती है. लेकिन उत्पादन बहुत कम होता है. दूसरा ऑर्गेनिक फसल के अनाज की हमारे क्षेत्र में बाजारीकरण की व्यवस्था सही नहीं है. जिसके कारण हम इस विधि से खेती करके लाभ नहीं ले पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसका मुख्य कारण प्रचार -प्रसार व जागरूकता का अभाव भी है.

 ऑर्गेनिक खेती के लिए किसानों की मदद करें सरकार 

ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसान प्रीतम सिंह ने कहा कि पेस्टिसाइड का फसलों में प्रयोग करके जहां हम स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. वहीं पर्यावरण को दूषित भी कर रहे हैं. इसलिए ऑर्गेनिक विधि से तैयार अनाज को प्रयोग में लाने के लिए ऑर्गेनिक खेती भी आवश्यक है. लेकिन उत्पादन की दृष्टि से ऑर्गेनिक विधि से खेती करना किसान के लिए हानिकारक है. इसके लिए सरकार को आगे आकर कम से कम 5 वर्षों तक किसान को आर्थिक रूप से ऑर्गेनिक खेती के लिए अनुदान देना चाहिए. प्रीतम सिंह ने सुझाव दिया कि क्योंकि ऑर्गेनिक विधि से तैयार फसलो के लिए देसी खाद की जरूरत होती है, इसके लिए सरकार किसानों को गौशाला से गोबर की खाद उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाएं. यह व्यवस्था किसान के लिए बहुत ही लाभप्रद और मदद करने वाली होगी.


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