खुशी….जिसकी चाहत में पूरी दुनिया इधर उधर भटक रही है। वह आज मुझे एक चाय की दुकान पर चाय बेचते हुए मिल गई। सामान्य बातचीत से शुरू हुआ सिलसिला न जाने कब गंभीरता की ओर बढ़ गया कि पता ही नहीं चला!
एक नौजवान लड़की मन में हजारों ख्वाब संजोए जिंदगी को बेहतर बनाने की आस में घर की दहलीज को लांघकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक में प्रवेश लेती है मगर उसके संघर्षों के सफर के बीच में ही बाप का साया सर से उठ जाता है। माता भी अपनी तबीयत से जूझने लगती है। इन हालातों में उसके परिवार के पेट पर ही संकट आ पड़ता है, मगर कहते हैं ना, जब हौसले बुलंद हो तो बड़े से बड़ा तूफान भी कुछ नहीं कर पाता। अपने शैक्षिक सफर को जारी रखने तथा परिवार का पेट पालने के लिए वह नौजवान लड़की चाय की दुकान खोलती है।
सोशल मीडिया पर पांच दिन से छाई है प्रयागराज की खुशी नाम की चाय बेचने वाली लड़की बेशक बड़े बड़े सोशलिस्ट कर रहे हैं खुशी की चाय से पोस्ट लेकिन अब बहुत से लोग आगे आकर खुशी की बड़ी मदद को तैयार हैं ऐसे में एक प्रचार कंपनी फेजी साफ्टेक ने अपने पोस्ट पर इसी संबंध में लिखा है मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। और इस कंपनी ने अपनी ग्राफिक्स पोस्ट में खुशी की दुकान की तस्वीर भी दिखाया है।