जस्टिस आगा हैदर ने भगत सिंह की फांसी की सजा पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया।

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भगत सिंह पर मुकदमा लाहौर कोर्ट में चला | इसे जल्दी निपटाने के लिए मई 1930 को स्पेशल ट्रिब्यूनल बनाया, जिसमें जस्टिस जे कोल्ड स्ट्रीम अध्यक्ष और जस्टिस जीसी हिल्टन और जस्टिस आगा हैदर सदस्य थे। ट्रिब्यूनल के हर गलत फैसले का आगा हैदर विरोध करते थे। आजादी के दीवाने शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को जब फांसी की सजा दी जानी थी तो, जस्टिस आगा हैदर ने फांसी की सजा पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने जवाब दे दिया कि मैं एक न्यायाधीश हूं कोई कसाई नहीं। अंग्रजों के अधिक दबाव कारण उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन हस्ताक्षर नहीं किया।
 

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